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जनजातीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी (Tribal Environmental Protection officer)
NCS Code: NA |
परिचय
जनजातीय पर्यावरण अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए काम करते हैं। उनका मुख्य कार्य पर्यावरणीय मुद्दों का मूल्यांकन, संरक्षण परियोजनाओं का कार्यान्वयन और आदिवासी समुदायों को पर्यावरणीय जागरूकता प्रदान करना होता है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
रुचि
लोगों के साथ और उनके लिए काम करना।
समस्या का समाधान करना।
चीजों को व्यवस्थित करना और योजना बनाना।
क्षमता
चीजों के बीच संबंध को समझना।
शब्द और भाषा की पहचान और लेखन करना।
प्रवेश मार्ग
विज्ञान (भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान) के साथ कक्षा 12वीं पूरी करें।
पर्यावरण विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जूलॉजी या संबंधित विषय में स्नातक डिग्री करें।
या
मास्टर डिग्री या पीएचडी (वैकल्पिक) (केंद्र या राज्य सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएँ, जैसे कि Indian Forest Services (IFS), या राज्य वन सेवा परीक्षा तथा कुछ राज्यों में विशेष परीक्षाएँ हो सकती हैं जो पर्यावरण संरक्षण से संबंधित पदों के लिए होती हैं।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें।
शैक्षिक संस्थान
सरकारी संस्थान-
1. मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर
2. राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर
3. गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाड़ा
दूरस्थ शिक्षा संस्थान-
1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) (आवेदन करने से पहले जाँच लें कि पंजीकृत संस्थान से से मान्यता प्राप्त है या नहीं।)
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
संस्थान की नवीनतम रैंकिंग संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इन लिंक्स का उपयोग कर सकते हैं। https://www.nirfindia.org/2024/Ranking.html
फीस
कोर्स की फीस लगभग 20 हजार से 1 लाख 50 हजार रूपये प्रतिवर्ष हो सकती हैं। उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है। (विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति/ऋण
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल -
http://www.scholarships.gov.inलिंक पर जाएँ। इस पोर्टल पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली केंद्र और राज्य सरकार यू.जी.सी. / ए.आई.सी.टी.ई. की योजनाएँ उपलब्ध हैं।
यह कक्षा XI से शुरू होने वाली छात्रवृत्ति का प्रवेश द्वार है।https://sje.rajasthan.gov.in/
मेरिट के आधार पर संस्थानों द्वारा स्कॉलरशिप भी मिलती है। (इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
विद्या लक्ष्मी पोर्टल- यह एक केंद्रीय पोर्टल है जहाँ विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक ऋणों के लिए आवेदन किया जा सकता है। https://www.vidyalakshmi.co.in
इन शैक्षिक ऋण योजनाओं के लिए आवेदन करने और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाएँ या नजदीकी बैंक शाखा में संपर्क कर सकते है । (विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्यस्थल-
सरकारी पर्यावरण एजेंसियां, गैर सरकारी संगठन (NGO), वन विभाग,अनुसंधान संस्थान, पर्यावरण संरक्षण एजेंसियाँ।
कार्य का माहौल-
यह फील्ड जॉब और डेस्क जॉब है।
स्थानीय यात्रा नौकरी का एक हिस्सा हो सकता है ।
अंशकालीन काम और संविदा आधारित नौकरियाँ उपलब्ध हो सकती हैं।
आपको सप्ताह में 6 दिन तथा प्रतिदिन 8-9 घंटे काम करना पड़ सकता हैं।
साथ ही ओवरटाइम करने की संभावना रहती हैं।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
सीनियर पर्यावरण संरक्षण अधिकारी,→आदिवासी विकास अधिकारी,→पर्यावरण संरक्षण सलाहकार,→सहायक निदेशक→निदेशक
अपेक्षित वेतन
वेतन लगभग 30 हजार से 60 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकता हैं। (यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
जनजातीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी (Tribal Environmental Protection officer)
NCS Code: NA |जनजातीय पर्यावरण अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए काम करते हैं। उनका मुख्य कार्य पर्यावरणीय मुद्दों का मूल्यांकन, संरक्षण परियोजनाओं का कार्यान्वयन और आदिवासी समुदायों को पर्यावरणीय जागरूकता प्रदान करना होता है।
रुचि
क्षमता
विज्ञान (भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान) के साथ कक्षा 12वीं पूरी करें।
पर्यावरण विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जूलॉजी या संबंधित विषय में स्नातक डिग्री करें।
या
मास्टर डिग्री या पीएचडी (वैकल्पिक) (केंद्र या राज्य सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएँ, जैसे कि Indian Forest Services (IFS), या राज्य वन सेवा परीक्षा तथा कुछ राज्यों में विशेष परीक्षाएँ हो सकती हैं जो पर्यावरण संरक्षण से संबंधित पदों के लिए होती हैं।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें।
सरकारी संस्थान-
1. मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर
2. राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर
3. गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाड़ा
दूरस्थ शिक्षा संस्थान-
1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU)
(आवेदन करने से पहले जाँच लें कि पंजीकृत संस्थान से से मान्यता प्राप्त है या नहीं।)
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
संस्थान की नवीनतम रैंकिंग संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इन लिंक्स का उपयोग कर सकते हैं।
https://www.nirfindia.org/2024/Ranking.html
कोर्स की फीस लगभग 20 हजार से 1 लाख 50 हजार रूपये प्रतिवर्ष हो सकती हैं।
उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है।
(विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल -
(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
(विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
कार्यस्थल-
सरकारी पर्यावरण एजेंसियां, गैर सरकारी संगठन (NGO), वन विभाग,अनुसंधान संस्थान, पर्यावरण संरक्षण एजेंसियाँ।
कार्य का माहौल-
सीनियर पर्यावरण संरक्षण अधिकारी,→आदिवासी विकास अधिकारी,→पर्यावरण संरक्षण सलाहकार,→सहायक निदेशक→निदेशक
वेतन लगभग 30 हजार से 60 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकता हैं।
(यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
अनिल अग्रवाल ये एक पत्रकार थे जिन्होनें 1982 में भारत के पर्यावरण की स्थिति के बारे में प्रथम रिपोर्ट लिखी । इन्होनें विज्ञान व पर्यावरण के केंद्र की स्थापना की जो की एक सक्रिय गैर सरकारी संगठन है जो विभिन्न पर्यावरण के मुद्दों का समर्थन करता है।
मेधा पाटकर - आप को भारत के चैम्पियन के रूप में जाना जाता है आपने दलित आदिवासी लोगों का समर्थन किया जिनका पर्यावरण, नर्मदा नदी पर बन रहे बांधों के कारण प्रभावित हो रहा है।
सुंदरलाल बहुगुणा - आपका पर्यावरण बचाने के प्रयासों के तहत कई आंदोलन किए. 1970 में 'चिपको आंदोलन' के जरिये वृक्ष काटने के विरोध मे लोगों ने वृक्षों से लिपटकर उनकी रक्षा की। इस आंदोलन में सुंदरलाल बहुगुणा की प्रमुख भूमिका थी. चिपको आंदोलन के चलते वह दुनियाभर में 'वृक्ष मित्र' के नाम से जाने गए।
स्त्रोत-
https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A6-1450171886-2
उपर्युक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।
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