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पर्यटन विकास अधिकारी (Tourism Development Officer)
NCS Code: NA |
परिचय
सांस्कृतिक धरोहर प्रबंधक एक पेशेवर व्यक्ति होता है, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, प्रबंधन, और प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनका मुख्य उद्देश्य धरोहर स्थलों, संग्रहालयों, पुरातात्त्विक स्थलों, ऐतिहासिक इमारतों, और अन्य सांस्कृतिक संपत्तियों को संरक्षित करना और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है ।
व्यक्तिगत क्षमताएं
रुचि
चीजों को व्यवस्थित करना और योजना बनाना।
नेतृत्व करना।
लोगों के साथ और उनके लिए काम करना।
क्षमता
चीजों के बीच संबंधों की समझ ।
शब्द और भाषा की पहचान और लेखन करना ।
नए डिजाइन और पैटर्न बनाना ।
प्रवेश मार्ग
किसी भी स्ट्रीम से कक्षा 12 वीं पूरी करे ।
पर्यटन आतिथ्य अध्ययन, पर्यटन अध्ययन एवं सांस्कृतिक धरोहर पुरातत्व, इतिहास या संग्रहालय में
स्नातक की डिग्री करें ।
या
स्नातक की डिग्री के पश्चात संबंधित क्षेत्र मे मास्टर डिग्री करें ।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें ।
शैक्षिक संस्थान
सरकारी संस्थान -
1. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर
2. गोविन्द्गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी बांसवाडा
3. केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान किशनगढ़, अजमेर
4. विश्वकर्मा कोशल विश्वविद्यालय, जयपुर
ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा संस्थान -
1. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU)
2. कोर्सेरा (आवेदन करने से पहले जाँच लें कि पंजीकृत संस्थान से से मान्यता प्राप्त है या नहीं।)
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
संस्थान की नवीनतम रैंकिंग संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इन लिंक्स का उपयोग कर सकते हैं। https://www.nirfindia.org/2024/Ranking.html
फीस
कोर्स की फीस लगभग 10 हजार सें 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष हो सकती है । उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है। (विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति/ऋण
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल -
http://www.scholarships.gov.inलिंक पर जाएँ। इस पोर्टल पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली केंद्र और राज्य सरकार यू.जी.सी. / ए.आई.सी.टी.ई. की योजनाएँ उपलब्ध हैं।
यह कक्षा XI से शुरू होने वाली छात्रवृत्ति का प्रवेश द्वार है।https://sje.rajasthan.gov.in/
मेरिट के आधार पर संस्थानों द्वारा स्कॉलरशिप भी मिलती है। (इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
विद्या लक्ष्मी पोर्टल- यह एक केंद्रीय पोर्टल है जहाँ विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक ऋणों के लिए आवेदन किया जा सकता है। https://www.vidyalakshmi.co.in
इन शैक्षिक ऋण योजनाओं के लिए आवेदन करने और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाएँ या नजदीकी बैंक शाखा में संपर्क कर सकते है । (विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्यस्थल-
संग्रहालय, पुरातात्विक स्थल, सांस्कृतिक संस्थान , सरकारी एजेंसी अन्य ।
कार्य का माहौल-
यह फील्ड जॉब और डेस्क जॉब का मिश्रण होता है । यह काम घर से भी किया जा सकता है
अंशकालीन काम और संविदा आधारित पर नौकरियाँ उपलब्ध हो सकती हैं\
आपको सप्ताह में 6 दिन तथा प्रतिदिन 8- 9 घंटे काम करना पड़ सकता हैं ।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
सहायक परियोजना प्रबंधक,→रिसर्च असिस्टेंट,→फील्ड असिस्टेंट→संग्रालय निदेशक→हेरिटेज कंसल्टेंट
अपेक्षित वेतन
वेतन लगभग 4 लाख से 15 लाख वेतन प्रतिवर्ष हो सकता हैं । (यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
राजस्थान के सीकर जिले में कटराथल गांव के कान सिंह निर्वाण आज पूरे देश में एक जाना पहचाना नाम है. प्राकृतिक जीवन पद्धति को अपनाकर कान सिंह विलेज टूरिज्म के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. प्रकृति, भूमि और गाय को आधार बनाने वाले कान सिंह की सोच एक ऐसी लकीर खींचनी थी जिसका पीढ़ियां अनुसरण करें. यह काम अपनी जड़ों से जुड़ कर ही हो सकता है। उनका मानना है कि अपनी जड़ों को छोड़ देने पर इंसान कुछ खास सार्थक काम नहीं कर सकता है.
पर्यटन विकास अधिकारी (Tourism Development Officer)
NCS Code: NA |सांस्कृतिक धरोहर प्रबंधक एक पेशेवर व्यक्ति होता है, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण, प्रबंधन, और प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनका मुख्य उद्देश्य धरोहर स्थलों, संग्रहालयों, पुरातात्त्विक स्थलों, ऐतिहासिक इमारतों, और अन्य सांस्कृतिक संपत्तियों को संरक्षित करना और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है ।
रुचि
क्षमता
किसी भी स्ट्रीम से कक्षा 12 वीं पूरी करे ।
पर्यटन आतिथ्य अध्ययन, पर्यटन अध्ययन एवं सांस्कृतिक धरोहर पुरातत्व, इतिहास या संग्रहालय में
स्नातक की डिग्री करें ।
या
स्नातक की डिग्री के पश्चात संबंधित क्षेत्र मे मास्टर डिग्री करें ।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें ।
सरकारी संस्थान -
1. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर
2. गोविन्द्गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी बांसवाडा
3. केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान किशनगढ़, अजमेर
4. विश्वकर्मा कोशल विश्वविद्यालय, जयपुर
ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा संस्थान -
1. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU)
2. कोर्सेरा
(आवेदन करने से पहले जाँच लें कि पंजीकृत संस्थान से से मान्यता प्राप्त है या नहीं।)
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
संस्थान की नवीनतम रैंकिंग संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इन लिंक्स का उपयोग कर सकते हैं।
https://www.nirfindia.org/2024/Ranking.html
कोर्स की फीस लगभग 10 हजार सें 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष हो सकती है ।
उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है।
(विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल -
(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
(विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
कार्यस्थल-
संग्रहालय, पुरातात्विक स्थल, सांस्कृतिक संस्थान , सरकारी एजेंसी अन्य ।
कार्य का माहौल-
सहायक परियोजना प्रबंधक,→रिसर्च असिस्टेंट,→फील्ड असिस्टेंट→संग्रालय निदेशक→हेरिटेज कंसल्टेंट
वेतन लगभग 4 लाख से 15 लाख वेतन प्रतिवर्ष हो सकता हैं ।
(यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
राजस्थान के सीकर जिले में कटराथल गांव के कान सिंह निर्वाण आज पूरे देश में एक जाना पहचाना नाम है. प्राकृतिक जीवन पद्धति को अपनाकर कान सिंह विलेज टूरिज्म के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. प्रकृति, भूमि और गाय को आधार बनाने वाले कान सिंह की सोच एक ऐसी लकीर खींचनी थी जिसका पीढ़ियां अनुसरण करें. यह काम अपनी जड़ों से जुड़ कर ही हो सकता है। उनका मानना है कि अपनी जड़ों को छोड़ देने पर इंसान कुछ खास सार्थक काम नहीं कर सकता है.
स्त्रोत- https://bharatexpress.com/india/story-of-kan-singh-nirwan-who-is-role-model-for-village-tourism-at-katrathal-sikar-rajasthan-348381
उपर्युक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।
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