परिचय
प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट का कार्य पौधों की टिश्यू कल्चर तकनीकों का उपयोग कर पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना है। यह भूमिका विशेष रूप से पौधों की प्रजनन तकनीकों, नई प्रजातियों के विकास, और पौध संरक्षण के लिए अनुसंधान पर केंद्रित होती है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
रुचि
हाथ से काम करना।
चीजों को व्यवस्थित रखना और योजना बनाना।
समस्या समाधान करना।
क्षमता
चीजों के बीच संबंधों की समझ।
नए डिजाइन और पैटर्न बनाना।
प्रवेश मार्ग
साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स, केमेस्ट्री ,बायोलॉजी ) या कृषि संकाय से कक्षा 12 वीं पूरी करें ।
बीएससी बायोटेक्नोलॉजी/बॉटनी/एग्रीकल्चर मे स्नातक की डिग्री पूरी करें ।
या
स्नातक की डिग्री के पश्चात उसी या संबंधित विषय मे मास्टर डिग्री पूर्ण करें ।
या
टिश्यू कल्चर तकनीक, माइक्रोप्रोपेगेशन, और जैव विविधता संरक्षण में या किसी भी संबंधित विषय मे डिप्लोमा पूर्ण करें ।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें ।
शैक्षिक संस्थान
सरकारी संस्थान-
महाराणा प्रताप कृषि एवं अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर-जयपुर
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
कोर्स की फीस लगभग 40 हजार से 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष हो सकती है।
उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है। (विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति/ऋण
छात्रवृत्ति
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल - http://www.scholarships.gov.in लिंक पर जाएँ। इस पोर्टल पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली केंद्र और राज्य सरकार यू.जी.सी. / ए.आई.सी.टी.ई. की योजनाएँ उपलब्ध हैं।
उपलब्ध छात्रवृत्ति के विवरण के लिए http://www.buddy4study.com लिंक पर जाएँ। यह कक्षा XI से शुरू होने वाली छात्रवृत्ति का प्रवेश द्वार है।
(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
विद्या लक्ष्मी पोर्टल- यह एक केंद्रीय पोर्टल है जहाँ विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक ऋणों के लिए आवेदन किया जा सकता है। https://www.vidyalakshmi.co.in
इन शैक्षिक ऋण योजनाओं के लिए आवेदन करने और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाएँ या नजदीकी बैंक शाखा में संपर्क कर सकते है।
(विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्यस्थल -
अनुसंधान केंद्र, जैव प्रौद्योगिकी कंपनियाँ , कृषि विश्वविद्यालय, और निजी प्रयोगशालाएँ इत्यादि में पौध प्रजनन प्रक्रियाओं पर काम करना पड़ सकता है ।
कार्य का माहौल-
प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट की जॉब में कार्य का माहौल आमतौर पर प्रयोगशालाओं में अनुसंधान आधारित और तकनिकी क्षेत्र आधारित होता है ।
इसमें आपको सप्ताह में 6 दिन तथा प्रतिदिन 6 से 8 घंटे काम करना पड़ सकता हैं ।
साथ ही ओवरटाइम की भी संभावना रहती है।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
टिश्यू कल्चर लैब मैनेजर→कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक→जैव प्रौद्योगिकी सलाहकार
अपेक्षित वेतन
वेतन लगभग 2.5 लाख प्रतिवर्ष से 7.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष हो सकता है। अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर यह 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष या अधिक बढ़ भी सकता है। (यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
राजस्थान एवं भारत में प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तित्व और उनकी सफलता की कहानियाँ इस प्रकार हैं-
डॉ, प्रो. नरपत एस. शेखावत
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर पादप जैव प्रौद्योगिकी पादप ऊतक संवर्धन आणविक जैव प्रौद्योगिकी इन्होने राजस्थान अनेको संकटग्रत प्रजातियों का उतक संवर्धन किया खेजड़ी, सेरोपेगिया बल्बोसा रोक्सब का कुशल इन विट्रो पुनर्जनन और एक्स विट्रो रूटिंग - भारतीय थार रेगिस्तान का एक संकटग्रस्त और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण पौधा है ।
डॉ. वंदना शिवा
पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी और टिश्यू कल्चर के माध्यम से कृषि में सतत विकास की दिशा में कार्य किया है। उनकी पहल से किसानों को नई तकनीकों के प्रति जागरूकता मिली है।
पादप उत्तक संवर्धक (Plant Tissue Culturist)
NCS Code: NA |प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट का कार्य पौधों की टिश्यू कल्चर तकनीकों का उपयोग कर पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना है। यह भूमिका विशेष रूप से पौधों की प्रजनन तकनीकों, नई प्रजातियों के विकास, और पौध संरक्षण के लिए अनुसंधान पर केंद्रित होती है।
रुचि
क्षमता
साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स, केमेस्ट्री ,बायोलॉजी ) या कृषि संकाय से कक्षा 12 वीं पूरी करें ।
बीएससी बायोटेक्नोलॉजी/बॉटनी/एग्रीकल्चर मे स्नातक की डिग्री पूरी करें ।
या
स्नातक की डिग्री के पश्चात उसी या संबंधित विषय मे मास्टर डिग्री पूर्ण करें ।
या
टिश्यू कल्चर तकनीक, माइक्रोप्रोपेगेशन, और जैव विविधता संरक्षण में या किसी भी संबंधित विषय मे डिप्लोमा पूर्ण करें ।
नामांकन से पूर्व कोर्स की अवधि की जाँच लें ।
सरकारी संस्थान-
अन्य संस्थान-
ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा संस्थान -
(आवेदन करने से पहले जाँच लें कि पंजीकृत संस्थान से से मान्यता प्राप्त है या नहीं।)
संस्थान की रैंकिंग
कोर्स की फीस लगभग 40 हजार से 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष हो सकती है।
उपर्युक्त आँकड़े अनुमानित हैं। यह संस्थान और कोर्स पर निर्भर करता है।
(विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति
(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
(विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
कार्यस्थल -
अनुसंधान केंद्र, जैव प्रौद्योगिकी कंपनियाँ , कृषि विश्वविद्यालय, और निजी प्रयोगशालाएँ इत्यादि में पौध प्रजनन प्रक्रियाओं पर काम करना पड़ सकता है ।
कार्य का माहौल-
प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट की जॉब में कार्य का माहौल आमतौर पर प्रयोगशालाओं में अनुसंधान आधारित और तकनिकी क्षेत्र आधारित होता है ।
इसमें आपको सप्ताह में 6 दिन तथा प्रतिदिन 6 से 8 घंटे काम करना पड़ सकता हैं ।
साथ ही ओवरटाइम की भी संभावना रहती है।
टिश्यू कल्चर लैब मैनेजर→कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक→जैव प्रौद्योगिकी सलाहकार
वेतन लगभग 2.5 लाख प्रतिवर्ष से 7.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष हो सकता है। अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर यह 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष या अधिक बढ़ भी सकता है।
(यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
राजस्थान एवं भारत में प्लांट टिश्यू कल्चरिस्ट के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तित्व और उनकी सफलता की कहानियाँ इस प्रकार हैं-
डॉ, प्रो. नरपत एस. शेखावत
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर पादप जैव प्रौद्योगिकी पादप ऊतक संवर्धन आणविक जैव प्रौद्योगिकी इन्होने राजस्थान अनेको संकटग्रत प्रजातियों का उतक संवर्धन किया खेजड़ी, सेरोपेगिया बल्बोसा रोक्सब का कुशल इन विट्रो पुनर्जनन और एक्स विट्रो रूटिंग - भारतीय थार रेगिस्तान का एक संकटग्रस्त और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण पौधा है ।
डॉ. वंदना शिवा
पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक, जिन्होंने जैव प्रौद्योगिकी और टिश्यू कल्चर के माध्यम से कृषि में सतत विकास की दिशा में कार्य किया है। उनकी पहल से किसानों को नई तकनीकों के प्रति जागरूकता मिली है।
स्त्रोत- https://scholar.google.co.in/citations?
https://www.navdanya.org/
उपर्युक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।