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फलों की खेती (Fruit Farming)( सीताफल खेती/ फलों की खेती खजूर,अनार,किन्नो,बेर,आंवला,केला,आम)
NCS Code: NA |
परिचय
सीताफल की खेती मुख्यतः भारत के कई हिस्सों में की जाती है। यह एक उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल ) फल है और इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
व्यक्तिगत क्षमताएं
रुचि
हाथ से काम करना।
चीजों को व्यवस्थित रखना और योजना बनाना।
क्षमता
यंत्र और उपकरणों/ सॉफ्टवेयर के साथ काम करना।
आकार और स्थान की समझ।
चीजों के बीच संबंधों की समझ।
प्रवेश मार्ग
सीताफल (कस्टर्ड एप्पल) की खेती करने के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कक्षा 12 वीं कृषि विज्ञान में 13 फलों का विस्तार से अध्ययन करवाया जाता है। सीताफल की व्यावसायिक खेती करना सिखा जा सकता है सामान्य ज्ञान और कौशल मददगार हो सकते हैं।
कृषि विज्ञान में डिग्री या डिप्लोमा होना लाभकारी हो सकता है। इससे आपको पौधों की देखभाल, मिट्टी की तैयारी और फसल प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.
विभिन्न कृषि प्रशिक्षण संस्थान और विश्वविद्यालय सीताफल की खेती पर विशेष कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इनमें भाग लेकर आप व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
शैक्षिक संस्थान
सरकारी संस्थान
1. महाराणा प्रताप कृषि एवं अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
2. श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर-जयपुर
3. स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
4. कृषि विश्वविद्यालय,कोटा
5. कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर
6. इंटरनेशनल होर्टीकल्चरइनोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर, जयपुर
7. SKNAU कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर, जोबनेर
8. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान,(CAZRI ),जोधपुर
9. कृषि अनुसंधान केन्द्र उम्मेदगंज, कोटा
10. राजस्थान कृषि अनुसंधान केन्द्र,जयपुर
11. राज्य कृषि अनुसंधान केन्द्र,जयपुर
12. केंद्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, दुर्गापुरा,जयपुर
13. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (AFRI),जोधपुर
14. राजस्थान केन्द्रीय विश्व विद्यालय किशनगढ़,अजमेर
15. विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, जयपुर
अन्य संस्थान
1. विद्या भवन सोसाइटी
2. वनस्थली विद्यापीठ निवाई, टोंक (केवल महिलाओं के लिए)
3. ज्योति महिला विश्वविद्यालय झरना, जयपुर
4. सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी, जयपुर
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
अधिकांश सरकारी योजनाएँ मुफ्त हैं । (विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति/ऋण
छात्रवृत्ति
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल - http://www.scholarships.gov.in लिंक पर जाएँ। इस पोर्टल पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जाने वाली केंद्र और राज्य सरकार यू.जी.सी. / ए.आई.सी.टी.ई. की योजनाएँ उपलब्ध हैं।
उपलब्ध छात्रवृत्ति के विवरण के लिए http://www.buddy4study.com लिंक पर जाएँ। यह कक्षा XI से शुरू होने वाली छात्रवृत्ति का प्रवेश द्वार है।
https://sje.rajasthan.gov.in/ मेरिट के आधार पर संस्थानों में स्कॉलरशिप भी मिलती है। (इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
विद्या लक्ष्मी पोर्टल- यह एक केंद्रीय पोर्टल है जहाँ विभिन्न बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक ऋणों के लिए आवेदन किया जा सकता है।https://www.vidyalakshmi.co.in
इन शैक्षिक ऋण योजनाओं के लिए आवेदन करने और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाएँ या नजदीकी बैंक शाखा में संपर्क कर सकते है। (विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
आप कहाँ पर कार्य करेंगे
कार्यस्थल
खेत,बागान ,ग्रामीण क्षेत्र,शोध और प्रशिक्षण केंद्र,प्रसंस्करण इकाइयाँ - फूड प्रोसेसिंग यूनिट अन्य।
कार्य का माहौल
यह फील्ड जॉब भी हो सकती हैं और डेस्क जॉब भी हो सकती है, परंतु ज्यादातर फील्ड जॉब ही होती हैं ।
डेस्क जॉब मे केवल बाजार अनुसंधान,रिकॉर्ड कीपिंग और व्यापार प्रबंधन से संबंधित हो सकता हैं ।
आपको सप्ताह में 6 दिन तथा प्रतिदिन 6-8 घंटे काम करने की संभावना रहती है ।
उद्यमिता के तहत स्वयं का खजूर,अनार,किन्नो,बेर,आंवला,केला,आम आदि फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर सकते हैं।
किस प्रकार तरक्की कर सकते हैं
Farm Manager→Agri Entrepreneur→Processing Specialist→Agriculture Trainer or Consultant→Crop Research Assistant Exporter
अपेक्षित वेतन
वेतन लगभग 2 लाख से 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष के बीच हो सकता हैं। (यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
सृजन कार्यक्रम के सहयोग से, महिलाओं ने सीताफल के गूदे को संरक्षित करने और उसे उच्च कीमत पर बेचने की तकनीक सीखी। अब, सीताफल का गूदा ₹70 प्रति किलो में बिकता है, जिससे उनकी आय में कई गुना वृद्धि हुई है।
इन महिलाओं ने घुम्मर महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड (GMPCL) नामक एक संघ बनाया, जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा प्रबंधित है। इस संघ में 5000 से अधिक महिलाएँ शामिल हैं और इसका एक बचत कोष भी है।
इस पहल ने न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाया है। अब वे अपने परिवारों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित कर सकती हैं और अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकती हैं।
यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता से, पारंपरिक खेती को भी एक सफल व्यवसाय में बदला जा सकता है।
फलों की खेती (Fruit Farming)( सीताफल खेती/ फलों की खेती खजूर,अनार,किन्नो,बेर,आंवला,केला,आम)
NCS Code: NA |सीताफल की खेती मुख्यतः भारत के कई हिस्सों में की जाती है। यह एक उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल ) फल है और इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
रुचि
क्षमता
सीताफल (कस्टर्ड एप्पल) की खेती करने के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कक्षा 12 वीं कृषि विज्ञान में 13 फलों का विस्तार से अध्ययन करवाया जाता है। सीताफल की व्यावसायिक खेती करना सिखा जा सकता है सामान्य ज्ञान और कौशल मददगार हो सकते हैं।
कृषि विज्ञान में डिग्री या डिप्लोमा होना लाभकारी हो सकता है। इससे आपको पौधों की देखभाल, मिट्टी की तैयारी और फसल प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.
विभिन्न कृषि प्रशिक्षण संस्थान और विश्वविद्यालय सीताफल की खेती पर विशेष कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इनमें भाग लेकर आप व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
सरकारी संस्थान
1. महाराणा प्रताप कृषि एवं अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
2. श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर-जयपुर
3. स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
4. कृषि विश्वविद्यालय,कोटा
5. कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर
6. इंटरनेशनल होर्टीकल्चरइनोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर, जयपुर
7. SKNAU कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर, जोबनेर
8. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान,(CAZRI ),जोधपुर
9. कृषि अनुसंधान केन्द्र उम्मेदगंज, कोटा
10. राजस्थान कृषि अनुसंधान केन्द्र,जयपुर
11. राज्य कृषि अनुसंधान केन्द्र,जयपुर
12. केंद्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, दुर्गापुरा,जयपुर
13. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (AFRI),जोधपुर
14. राजस्थान केन्द्रीय विश्व विद्यालय किशनगढ़,अजमेर
15. विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, जयपुर
अन्य संस्थान
1. विद्या भवन सोसाइटी
2. वनस्थली विद्यापीठ निवाई, टोंक (केवल महिलाओं के लिए)
3. ज्योति महिला विश्वविद्यालय झरना, जयपुर
4. सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी, जयपुर
संस्थान की रैंकिंग
संस्थान की रैंकिंग विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी की जाती है, जैसे - NIRF (National Institutional Ranking Framework) ।
संस्थान की नवीनतम रैंकिंग संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इन लिंक्स का उपयोग कर सकते हैं। https://www.nirfindia.org/2024/Ranking.html
अधिकांश सरकारी योजनाएँ मुफ्त हैं ।
(विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
छात्रवृत्ति
(इन छात्रवृत्तियों की उपलब्धता समय-समय पर भिन्न-भिन्न हो सकती है।)
ऋण
(विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं की ब्याज दरें, पात्रता मानदंड और चुकाने की शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं। इसलिए सभी विकल्पों की तुलना करना और अपने लिए सबसे उपयुक्त योजना का चयन करना महत्त्वपूर्ण है।)
कार्यस्थल
खेत,बागान ,ग्रामीण क्षेत्र,शोध और प्रशिक्षण केंद्र,प्रसंस्करण इकाइयाँ - फूड प्रोसेसिंग यूनिट अन्य।
कार्य का माहौल
Farm Manager→Agri Entrepreneur→Processing Specialist→Agriculture Trainer or Consultant→Crop Research Assistant Exporter
वेतन लगभग 2 लाख से 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष के बीच हो सकता हैं।
(यह वेतन अनुमानित है और परिवर्तनशील है।)
फील्ड के कुछ अनुभव
सृजन कार्यक्रम के सहयोग से, महिलाओं ने सीताफल के गूदे को संरक्षित करने और उसे उच्च कीमत पर बेचने की तकनीक सीखी। अब, सीताफल का गूदा ₹70 प्रति किलो में बिकता है, जिससे उनकी आय में कई गुना वृद्धि हुई है।
इन महिलाओं ने घुम्मर महिला उत्पादक कंपनी लिमिटेड (GMPCL) नामक एक संघ बनाया, जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा प्रबंधित है। इस संघ में 5000 से अधिक महिलाएँ शामिल हैं और इसका एक बचत कोष भी है।
इस पहल ने न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि उन्हें सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाया है। अब वे अपने परिवारों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित कर सकती हैं और अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकती हैं।
यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता से, पारंपरिक खेती को भी एक सफल व्यवसाय में बदला जा सकता है।
स्त्रोत- Rajasthan's tribal women find empowerment through Sitafal (deccanherald.com)
उपर्युक्त जानकारी केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए है और इसका उपयोग किसी व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाएगा।
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